सूरजपुर जिला अस्पताल में मानवता को शर्मसार करने वाला मामला एक बार फिर आया सामने डॉक्टर ने विक्षिप्त और गरीब मरीज का इलाज करने से किया मना

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सुरजपुर जिला गठन को लगभग एक दशक बीत गया, लेकिन जिला अस्पताल सुरजपुर में मानवता को शर्मसार करने का तस्वीर नही बदल रहा,

शासन के मोटी रकम से जेब भरते डॉक्टर की बदसलूकी बदस्तूर जारी,

सुरजपुर- जिला अस्पताल सुरजपुर में जिले के गठन के बाद से ही अपने अव्यवस्था का आलम और डॉक्टरों की मरीजों के साथ बदसलूकी सुर्खियों में रहती है, जहा शासन सत्ता का परिवर्तन तो होता है लेकिन सुरजपुर जिला अस्पताल के डॉक्टर शासन के मोटी रकम से खुद और अपने परिवार को ऐशो आराम देते हुए गरीब मरीजों की बददुआएँ लेते नही थकते । ताजा मामला रविवार का है जहा कोतवाली थाना क्षेत्र के बिशुनपुर में मानसिक और शारिरिक रूप से बीमार एक अज्ञात व्यक्ति की जानकारी पुलिस को मिली, जहा मानवता की मिसाल पेश करते हुए पुलिस ने गम्भीर रूप से बीमार अज्ञात व्यक्ति को जब जिला अस्पताल लेकर पहुचे तब शुरू हुआ जिला अस्पताल में बैठे एक आपातकालीन ड्यूटी करते चिकित्सक की बदसलूकी भरा रसूख का तेवर, जहा शारिरिक रूप से गम्भीर मरीज को शुरुआत में एडमिट करने से मना कर दिया, और फिर शासन के पैसों से भरी गर्मी को पुलिस वालों पर ही दिखाने लगे, ऐसे में स्थानीय पत्रकारों के हस्तक्षेप के बाद जब पत्रकार और पुलिस ने शासकीय अस्पताल की परिभाषा बताया तब जाकर उसे पता चला कि इन्ही गरीब मरीजों के इलाज के लिए ही मोटी रकम से इनकी जेब भरता है, जिसके कारण ही कुर्सी में काबिज होकर लोगो को अपना परिचय ये डॉक्टर के रूप में देते है, लिहाजा आंखे चढ़ाता हुआ इस डॉक्टर ने पुलिस और पत्रकारों के दबाव में आकर मरीज को भर्ती तो कर लिया लेकिन इलाज करने का दावा नही किया,।

गौरतलब है कि सत्ता परिवर्तन के बाद से जिला अस्पताल में इन जैसे मानवता को शर्मसार करने वाले डॉक्टरों पर कोई नियंत्रण नही है, जिम्मेदार विभाग के अधिकारी खुद कम्बल ओढ़कर जमकर घी पी रहे, ऐसे में इन जैसे डॉक्टरों को जिला अस्पताल में सम्मानित कर रोजाना आरती किया जाता है, लिहाजा जिले के गरीब मरीजों को दूसरे जिले के अस्पताल का सहारा लेना पड़ता है, हालांकि ऐसे शासन सत्ता के नशे में चूर डॉक्टर को जिले के पहुँचविहीन क्षेत्र बिहारपुर में महज एक माह की पदस्थापना से शायद डॉक्टर के कर्तव्य को निर्वहन करने की सिख जरूर मिल सकेगी,

प्रशासनिक जिम्मेदारो की चुप्पी और जनप्रतिनिधियों के धृतराष्ट्र की भूमिका समझ से परे,

जिले के ओड़गी के दो दर्जन से ज्यादा पंचायत चिकित्सक अभाव से जूझ रहे , लेकिन बदसलूकी और मानवता को शर्मसार करने वाले इस डॉक्टर की ज्यादा आवश्यकता ओड़गी ब्लॉक में है, लेकिन जिले के जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे बस गरीब मरीजों का तमाशा देखते रहते , तो दूसरी ओर संभाग में ही स्वास्थ्य मंत्री के होते हुए इन डॉक्टरों की वजह से खुद जिला अस्पताल बीमार चल रहा लेकिन जिला और सम्भाग के जनप्रतिनिधियों की अनदेखी समझ से परे है,

बहरहाल रविवार शाम की घटना ने इस अमानवीय हरकत करने वाले डॉक्टर का चेहरा सामने ला दिया, ऐसे में अब कब जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी निभाते है और गरीब मरीजो के अस्पताल से ऐसे बीमार डॉक्टरों से निजाद दिलाते है यह तो देखने वाली बात होगी ।

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